चीन की ज्ञानधारा मे भांग -3


कविताओ  और पुस्तकों के माध्यम से पता चलता है कि चीन मे तैङ्ग राजवंश के समय भांग कि खेती बड़े भू भाग पर करी जाती थी | इसी प्रकार अन्य राजवंशो के समय कृषि विज्ञान और खेती पर पुस्तके लिखी गयी जिनमे भांग की खेती की तकनीक , दवाई के रूप मे इसके उपयोग आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है | इनमे से कुछ पुस्तके इस प्रकार है : 

 

तू जिंग बेन काओ                                                                                              सॉन्ग राजवंश 

नोंग शू                                                                                                             युवान राजवंश 

नोंग सङ्ग यी शी कुओ याओ                                                                               युवान राजवंश 

बेन काओ गैंग मू    ( compendium of materia medica)                                  मींग राजवंश 

झी वू मिङ्ग शी तू काओ चाँग बियन                                                                    कुइंग राजवंश  

 

चीनी ज्ञानधारा मे भांग का उपयोग 

 

सॉन्ग राजवंश के समय लिखी गयी पुस्तकएर या यीमे भांग के उपयोग के बारे मे लिखा गया है कि इसके बीज खाने के काम आते है और इसके रेशे से कपड़ो का निर्माण किया जा सकता है | चीन मे भांग के नर और मादा पौधो के लिए अलग अलग नाम का इस्तेमाल किया गया है | “यी ली” ( ceremonial etiquette ) नामक  पुस्तक केसंग फूनामक अध्याय मे नर पौधे कोझिमानाम से उद्धृत किया गया है और बताया गया है की इसका इस्तेमाल रेशे के लिए किया जाता है और उस से कपड़े बनाए जाते है | इसी प्रकारशी  जिंगनामक किताब के अध्यायकाओ फेंग फू यूमे बताया गया है कीझिमा” ( नर भांग का पौधा ) से बेहतरीन कपड़े तैयार किए जाते है, इसी किताब केबिन फेंग क्वि यूएअध्याय मे बताया गया है कीझूमा ” ( मादा भांग का पौधा )  के बीज खाने के उपयोग मे आते है  | इसी प्रकार की एक अन्य किताबयी वेन लेई जूमे लिखा है कि लोगझूमा ” ( मादा भांग का पौधा ) के बीज खाते है और इस से मोटा कपड़ा बनाया जाता है | इन साक्षों से सिद्ध होता है कि चीन मे भांग के पौधे का उपयोग भोजन, दवाई , कपड़े और कागज बनाने के लिए किया जाता रहा है

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