चीन की ज्ञानधारा मे भांग -4 ( भांग के बीज का भोजन मे उपयोग )


चीनी ज्ञानधारा मे भी भारतीय ज्ञान धारा की तरह 5 अनाजों को खास महत्व दिया गया है , जिसमे बाजरे के दो प्रकार, सोयाबीन, गेहु और भांग के बीजो का स्थान है | हाण राजवंश के समय भांग के बीजो को प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप मे चिन्हित किया गया था, बेन काओ गैंग मू    ( compendium of materia medica)  तथा अन्य पुस्तकों से पता चलता है कि भांग के बीज को उपयोग मे लाने के चार प्रमुख तरीके थे

 

भांग के बीजो को निम्न और मध्य वर्ग के लोग नाश्ते कि तरह भून कर खाते थे, किताबलई  झी यांग ज़्हूमे वर्णन आता है कि किस प्रकार कुछ गरीब लोग एक अमीर का मज़ाक बनाते है कि उसे भांग के बीज खाने का तरीका नहीं आता है | आज भी भारत के कुमाऊ गढ़वाल की तरह  चीन के दक्षिण पश्चिम प्रांत और उत्तरी प्रांत मे  लोग भांग के बीज का सेवन करते है दूसरा तरीकाभांग के बीजो की खिचड़ी बना कर खाया जाता था, इसके बारे मे एक कहानी प्रचलित है जब रानी चेन के बच्चा हुआ तो उसके स्तनो मे दूध नहीं उतर रहा था , तो उसने कई दिनों तक भांग के बीज की खिचड़ी खाई और उसके स्तनो मे दूध उतर आया |

तीसरा तरीका भांग के बीजो का तेल निकाल कर उसको भोजन के साथ खाया जाता था | आज भी चीन के शांकसी और शंकसी प्रांत मे भांग के बीज के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने मे किए जाता है | “टाइन गोंग कइ वू” ( exploitation of works of  nature)  नामक किताब के लेखक, ” शांगने लिखा है कि रेशे देने वाली दो फसले, भांग और अलसी  के बीजो के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जा सकता है चौथा तरीका भांग के बीजो का चूरा बना कर उसे खाने के ऊपर छिड़क कर खाने का है | 10 वी  शताब्दी मे जब अन्य फ़सले जो जायदा अनाज देती है उनका पता चला तो, भांग के बीजो का उपयोग कम हो गया अन्यथा भांग के बीजो का उपयोग करके तेल, केक, पेस्ट्री आदि बनाने का प्रचलन रहा था

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