दवाई के रूप मे भांग का प्रयोग : भांग का प्रयोग , दवाई के रूप मे भारत और चीन मे बहुत लंबे समय से होता रहा है और इस विषय पर बहुत साहित्य उपलब्ध है | चीन की सबसे पुरानी औषधि की पुस्तक ” शेन नोङ्ग बेन काओ जिंग ” जो कुइन और हूण राजवंशो के समय संपादित करी गई थी , मे भांग के नर पौधो के फूल ( माफेन ) का प्रयोग कमजोरी दूर करने के किए जाने का वर्णन मिलता है | इस पुस्तक मे ही वर्णित है कि भांग के बीजो के प्रयोग से अच्छा स्वास्थ्य और लंबा जीवन मिलता है | चीन के साहित्य मे प्राप्त भांग से बनी कुछ दवाइयो के प्रयोग इस प्रकार है :
मिन यी बाई लू ( प्रसिद्ध वैधो के लेख ) एक किताब जो तीसरी सदी मे लिखी गयी थी, मे वर्णन है कि माफेन ( भांग के नर फूल ) हानी कारक है , परंतु इसका प्रयोग सूजन और जलन मे किया जा सकता है | भांग के बीजो का प्रयोग हानी रहित है और इसकी प्रकृति सौम्य होती है |
बेन काओ गैंग मू ( compendium of materia medica) मे भांग के नर फूलो को कटु, गरम तासीर वाला और हानी रहित बताया गया है , भांग के बीजो को कटु , सौम्य और हानिकारक माना गया है |
“बेन काओ हुई यान” किताब के अनुसार भांग के पत्तों का प्रयोग , पेट के कीड़ो को मारने और मलेरिया के इलाज मे किया जा सकता है साथ ही घाव के इलाज मे भांग की जड़ो को इस्तेमाल करने सुझाव है |
भांग के पौधे के विभिन्न हिस्सो का प्रयोग अन्य जड़ी बूटी के साथ मिला कर “यीन और यंग” को संतुलित करने के किए जाने के बारे मे कई किताबों मे दिया गया है |