शराब का नशा और उसका प्रभाव



नशा : किसी मादक पदार्थ या द्रव्य के सेवन से जब मस्तिष्क अपनी सामान्य कार्य प्रणाली से हट कर कार्य करने लगता है और मनुष्य का अपने विचारो और शरीर पर से नियंत्रण कमजोर होने लगता है , उसे नशे की स्थिति कहते है | अलग अलग मादक पदार्थो का मनुष्य पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है , पर हर नशे की स्थिति मे मस्तिष्क सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देता है |

मनुष्य नशा क्यू करता है ? इसके अलग अलग उत्तर हो सकते है , तनाव कम करने के लिए , नींद लाने के लिए, आनंद पाने के लिए, सामाजिक प्रभाव मे आदि !

मनुष्य कई स्तर पर कार्य करता है, शरीर के स्तर पर, विचार के स्तर पर और भाव के स्तर पर | नशे का सेवन करने से विचार करने की शक्ति क्षीण पड  जाती है और भाव शारीरिक स्तर पर अधिक परिलक्षित होने लगते है, भावनाए अधिक मुखर हो जाती है | नशे की हालत मे मनुष्य की सोचने विचारने की शक्ति कमजोर हो जाती है |

हमारे माथे के पीछे हमारे मस्तिष्क का frontal lobe होता है, जिस से हम सोचने और योजना बनाने का कार्य करते है, मस्तिष्क का यह भाग मनुष्य मे सबसे बाद मे विकसित हुआ है और हमे अन्य जानवरो की तुलना मे अधिक बौद्धिक और श्रेष्ठ बनाता है | हमारा अधिकतर तनाव इसी भाग की वजह से उत्पन्न होता है , हम भविष्य की योजनाओ या भूतकाल की घटनाओ पर अनवरत विचार करते है तो हम तनाव मे आ जाते है |

जब हम शराब पीते है , तो एक दो पेग के पश्चात ही हमारे मस्तिष्क पर असर पड़ने लगता है, हमारे मस्तिष्क मे भिन्न हिस्से अलग अलग कार्यो को निष्पादित करते है और शराब का असर धीरे धीरे सब हिस्सो पर पड़ता है | जैसे जैसे शराब दिमाग के हिस्सो को प्रभावित करती है , उसी के अनुरूप लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है |

शराब सबसे पहले हमारे मस्तिष्क मे प्री फ्रन्टल कोरटेक्स को प्रभावित करती है | हमारे मस्तिष्क का यह हिस्सा हमारे सोचने , विवेक, विचार , निर्णय करने के कार्य को संपादित करता है साथ ही हमारे आवेगशील व्यवहार को भी नियंत्रित करने का कार्य करता है | इसीलिए हम पाते है कि 2-4 पेग पीने के पश्चात , संकोच खत्म हो जाता है और मनुष्य अधिक आत्मविश्वास से भरने लगता है .

और अधिक शराब का सेवन करने  पश्चात शराब मस्तिष्क के फ्रन्टल लोब और परिएटल लोब पर प्रभाव डालती है , जिसकी वजह से हमारी ज्ञानेन्द्रियो के माध्यम से जो सूचना आ रही है , उस पर प्रतिक्रिया देने मे विलंब होने लगता है , हमारा रिएक्शन टाइम बढ़ जाता है | जो हम देख या सुन रहे होते है उस पर प्रतिक्रिया देने मे वक़्त बढ़ जाता है |

सेरेबेलम हमारे मस्तिष्क का वो हिस्सा है जो हमारे संतुलन और समन्वय को नियंत्रित करता है , अधिक शराब जब इस हिस्से को प्रभावित करना शुरू करती है तो हमारे शरीर का संतुलन प्रभावित होने लगता है , हम सीधी रेखा पर चलने मे असक्षम होने लगते है , हमारी जबान लड़खड़ाने शुरू हो जाती है |

अगर आदमी इस से भी अधिक पीता है तो उसके हिप्पोकैम्पस पर प्रभाव पड़ना शुरू हो हो जाता है , मस्तिष्क का यह हिस्सा सीखने और याद रखने का कार्य करता है , इसलिए जब हम अधिक पी लेते है तो अगले दिन सुबह उठने पर हमे रात कि घटनाए याद करने मे परेशानी होने लगती है या बिलकुल भी याद नहीं आता , शराब पीने के बाद कि पूरी घटना “ब्लैक आउट “ हो जाती है |

अधिकतर लोगो के लिए शराब का असर अस्थाई रहता है परंतु जायदा समय तक पीने से उसका असर स्थाई हो सकता है , यह निम्न बातों पर निर्भर करता है :

व्यक्ति कितना और कितने अंतराल पर मदिरा का सेवन करता है |

कितने समय से मदिरा का सेवन कर रहा है |

व्यक्ति की उम्र, लिंग,अनुवांशिकी, सामान्य सेहत, और पारिवारिक इतिहास |

अधिक शराब का सेवन शरीर और मस्तिष्क के लिए हानी कारक है |

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