भांग के अधिकतर नर पौधो मे जब फूल आ जाये , तो फसल की कटाई कर देनी चाहिए और भांग के डंठल को 20 दिनों के लिए पानी मे भिगो कर उसके रेशे को निकालना चाहिए , इस प्रकार से खेती करके जब रेशा निकाला जाता है तो वो रेशम की तरह मुलायम और चमकदार होता है |
चीनी ज्ञानधारा की दूसरी कृषि किताब “क़ी मिन याओ शु ” मे भी भांग के पौधे की खेती के बारे मे विस्तार से चर्चा करी गयी है | इस किताब मे किस प्रकार से भांग के बीजो का चुनाव करना चाहिए उस पर चर्चा करी गयी है | इस किताब के हिसाब से सफेद भांग के बीज खेती करने के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं, अगर जमीन अधिक उपजाऊ है तो अधिक बीज लगाने चाहिए और कम उपजाऊ है तो कम बीज लगाने चाहिए | बारिश का पानी भांग के बीजों को भिगोने के लिए अधिक उत्तम रहता है परंतु अधिक पानी इसके लिए नुकसान देह है | इस किताब मे जबरन अंकुरण के बारे में भी बताया गया है यह किताब संभवत सबसे पुराना रिकॉर्ड है जिसमे जबरन अंकुरण के बारे में बताया गया है |
किताब में यह भी दिया गया है कि लगातार भांग की खेती एक ही जमीन पर करना फसल के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि लगातार इसकी खेती करने से जमीन की उर्वरता नष्ट होती है साथ ही साथ पौधे में बीमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है | अगर लगातार एक ही जमीन पर भांग की खेती करी जाती है तो रेशे की गुणवत्ता प्रभावित होती है | भांग के साथ अंतर फसल के रूप मे गेहु, बाजरा ,बीन्स आदि की खेती भांग के लिए फायदेमंद होती है , परंतु सोयाबीन के साथ इसकी इंटर क्रॉपिंग अच्छी नहीं होती है | इस किताब में यह भी बताया गया है कि नर पौधे को फूल आने के बाद खेत से हटाने का सही समय कौन सा है अगर भांग के नर पौधे जल्दी हटा दिए जाएं तो बीज की गुणवत्ता प्रभावित होती है |
इसी प्रकार ” ताई पिंग यू लैन ” नामक किताब के “ज़्होंग झी” अध्याय मे भांग की खेती पर विस्तार से चर्चा करी गयी है , इसमे खेती की जमीन, बुवाई का मौसम , मिट्टी तैयार करना , खरपतवार निकालना , खाद के प्रकार और मात्रा, कटाई आदि पर लेख लिखे गए है |
इस प्रकार भांग की खेती का ज्ञान चीनी ज्ञान धारा मे , एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुचता रहा, और तैङ्ग राजवंश के आने तक भांग लगभग पूरे चीन मे उगाई जाने लगी | डू फू जो एक प्रसिद्ध चीनी कवि था उसने अपनी कविता “क्षी किङ्ग” मे लिखा है अब मै बूढ़ा हो गया हूँ , बाजरा नहीं उगा पाता परंतु फिर भी भांग और चाय की खेती करता हूँ | इसी प्रकार चीनी कवि क्षू हुन ने अपनी कविता मे लिखा है , गाँव के दक्षिणी छोर पर गाँव के मुखिया का घर है जहां पर शहतूत और भांग के पौधे लगे हुए है |