मेरी आने वाली किताब ” भांग का इतिहास ” से उद्धृत
मध्य युग मे रोम के पास सबसे अधिक शक्तिशाली नौसेना होती थी। इटली उस समय समुद्र पर शासन करता था, और इसके लिए वो अपने युद्ध पोतो मे भांग के बहतरीन रेशो से बनी रस्सियों और मजबूत पालो का इस्तेमाल करते थे | उन्हे समुद्रो पर नियंत्रण करने के लिए, अपने युद्धपोतो को सबसे मजबूत , सबसे तेज रखना होता था और इसके लिए जरूरी था कि भांग के रेशो की उपलब्धता बनी रहे |
रोम की सेना, सबसे मजबूत कैसे बनी इसके पीछे भी एक ऐतिहासिक घटना थी, रोम के वेनिस मे मध्ययुगीन काल मे एक रस्म हुआ करती थी, जो हर वर्ष 1 फरवरी को मनाई जाती थी | इसी एक दिन, पूरे धूम धाम से, हर्ष और उल्लास के साथ’ वेनिस के युवा लोगो का ब्याह हुआ करता था, पूरे शहर को सजाया जाता था | युवा लड़के और लड़की अपने माता पिता के साथ इस समारोह मे सज-धज कर आते थे, शहर के बड़े चर्च (church of san pietro di castello ) मे पादरी उनकी शादी कराते तथा वहाँ के लोकतान्त्रिक राजा उन्हे आशीर्वाद दिया करते थे |
वेनिस के नागरिक धनी और सम्मानित थे, पर इसका अर्थ यह नहीं था कि उनके दुश्मन नहीं थे, उनके धन दौलत पर समुद्री लुटेरो की नजर थी ,यह लुटेरे, क्रोसिया से लगे अद्रियाटिक समुद्र के डलमटिया तट से आते थे और वेनिस और आसपास के बंदरगाहों के जहाजो और नागरिको को लूट कर चले जाते थे | यह समुद्री लुटेरे भूमध्य सागर, अद्रियाटिक सागर, काला सागर मे व्यापार करने निकले जहाजो को अक्सर लूट लिया करते थे और अधिकतर जहाजो को इन्हे सुरक्षित यात्रा करने के लिए धन देना पड़ता था |
अद्रियाटिक समुद्र के तटो के आसपास के अधिकतर लोग यह बात जानते थे कि वेनिस के लोग 1 फरवरी को सामूहिक विवाह समारोह मनाते है और यह बात समुद्री लुटेरे भी जानते थे | इन समुद्री लुटेरो ने सामूहिक विवाह कार्यक्रम को लूटने की योजना बनाई और ईस्वी 945 की एक फरवरी को वेनिस के तट पर आ गए | यह लुटेरे वेनिस के इस विवाह समारोह से धन दौलत, गहने,सोना आदि ही नहीं लूटना चाहते थे, यह उनकी दुल्हनों को भी उठा कर ले जाने के इरादे से आए थे , यह लुटेरे जानते थे कि सारे पुरुष शराब पी कर नशे मे होंगे, किसी को भी उम्मीद नहीं होगी कि कोई उन्हे लूटने आएगा |
यह लुटेरे 1 फरवरी 945 की मध्य रात्रि मे पूरी शक्ति के साथ इस समारोह पर टूट पड़े, समारोह मे आनंद मनाने मे मग्न नागरिको को इस से पहले कि कुछ समझ मे आता, लुटेरो ने लूटे हुए महंगे शादी के उपहारों और धन के साथ साथ, होने वाली दुल्हनों को भी उठा कर अपने समुद्री जहाजो पर पहुचा दिया | वेनिस के लोगो के लिए यह एक आधात की तरह था, उनकी कुछ समझ नहीं आया क्या हो गया, पर जल्दी ही वो लोग संभल गए , पूरे क्षेत्र मे यह खबर फैल गयी, दूल्हो के साथ साथ आम नागरिक भी आक्रोशित थे, सारे युवा वेनिस के बन्दरगाह पर एकत्र हो गए |
यह धन की बात थी, यह सम्मान की बात थी, उनकी स्त्रियाँ दाव पर लग गयी थी, पूरा वेनिस कलंकित होने लगा था | वेनिस के तट पर जितने भी जहाज थे, सारे के सारे इन लुटेरो के पीछे लग गए, वेनिस वालो ने लुटेरो को कैरोल नामक जगह पर पकड़ लिया, लुटेरे हालकि युद्ध मे कुशल थे, फिर भी उन्हे भागना पड़ा और वेनिस के नागरिक अपनी दुल्हनों और धन को वापस ले आए | जिस बन्दरगाह के पास यह युद्ध हुआ उसका नाम “ पोर्टो डेल्ला डामिगेल्ले” पड़ गया जिसका अर्थ होता है “युवा स्त्रियो का बन्दरगाह” !
इस युद्ध के पश्चात हालाकि वेनिस के लोग अपना सम्मान बचाने मे सफल हो गए थे, पर समुद्री लुटेरे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे, उन्होने व्यापारिक समुद्री जहाजो को लूटने और धन वसूली के कार्य को जारी रखा था ! वेनिस के लोग समुद्री लुटेरो से थक चुके थे, उनके आत्याचारों को खत्म करने का समय आ गया था इसलिए उन्होने ईस्वी 1000 मे निर्णय लिया कि समुद्री लुटेरो को खत्म करना पड़ेगा, एक बार हम जीत चुके अब हम लुटेरो को खत्म कर देंगे |
वेनिस के योद्धाओ ने निर्णय किया कि समुद्री लुटरों को नष्ट करना है, उन्होने डलमटिया तट पर जिस दिन जीसस के स्वर्गारोहण की छुट्टी होती है, उस दिन आक्रमण कर दिया | उन्होने इन समुद्री लुटेरो को भगा भगा कर हर जगह ढूंढ ढूंढ कर मारना शुरू कर दिया, जिस भी बन्दरगाह पर उन्हे शरण दी गयी, उन्होने उन बंदरगाहों को भी नष्ट कर दिया |